"पिछला चुनाव कांग्रेस अपनी गलतियों से हारी"


( रायपुर, 5 अप्रैल 2008, दोपहर 11.30 बजे )

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. चरणदास महंत का मानना है कि पिछला चुनाव कांग्रेस अपनी गलतियों से हारी थी। इस बार अगर वह मिलकर लड़ी तो अगली सरकार उसी की बनेगी। सोनिया गांधी के नेतृत्व में उन्हें पार्टी एक होती दिख भी रही है। वे बताते हैं- हमारे किसी के मन में मुख्यमंत्री बनने का लालच नहीं है। मैंने और विशेषकर कर्मा जी ने एआईसीसी की मीटिंग में हमारे वरिष्ठ नेताओं को साफतौर पर कह दिया है कि हमको आप काम करने दीजिए। सरकार हम बनाकर आपको दे रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने की हमारी कोई मंशा नहीं है। आप जिसको भी चाहें मुख्यमंत्री बनाएं हमारा इसमें कोई टकराव नहीं है। डा. महंत को लगता है कि भाजपा ने घोषणापत्र में जो वादे किए थे वे पूरे नहीं हुए। इससे जनता नाराज है और इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा। वे छत्तीसगढ में गुजरात दोहराए जाने की गुंजाइश नहीं देखते। उन्हें लगता है कि यहां की जमीन सांप्रदायिकता को बर्दाश्त नहीं करती। राज्य में आम छत्तीसगढ़िया की स्थिति उन्हें पीड़ादायक लगती है। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़िया को दोयम दर्जा दिया गया है, उसके आगे बढ़ने की संभावनाएं नहीं हैं। पिछली सरकार के समय जरूर स्थितियां अलग थीं। आगामी चुनाव की संभावनाओं पर नेशनल लुक के लिए बबलू तिवारी ने उनसे चर्चा की। पेश हैं उसके प्रमुख अंश-


0- आनेवाला विधानसभा चुनाव किन मुद्दों पर लड़ा जाएगा ?
00- हम लोग जिन मुद्दों पर चुनाव लड़ेंगे उसमें पहला होगा कि भाजपा ने अपने घोषणापत्र में जनता से जो वादा किया था उसका 90 प्रतिशत पालन नहीं किया। विकास के नाम पर भाजपा ने पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार को बढ़ाया है। आज उनका हर सरपंच और कार्यकर्ता भ्रष्टाचार की चपेट में है तथा विकास के नाम पर मिलने वाले पैसे का आधा खुद खा रहा है। हमारे पास हमारी केंद्र की यूपीए सरकार की उपलब्धियां हैं। किसानों का 60 हजार करोड़ रुपए की कर्जमाफी का मुद्दा लेकर जनता के पास जाएंगे। साथ ही हमने कहा है कि किसानों और गरीबों को दो रुपए में चावल देंगे, धान का मूल्य कुछ भी हो उस पर दो सौ रुपए बोनस देंगे, किसानों को सिंचाई के लिए बिजली का कनेक्शन मुफ्त में देंगे और प्रयास करेंगे कि छोटे और कृषि ऋण पर किसानों को ब्याज न देना पड़े। हमारा मुख्य उद्देश्य किसानों, ग्रामीणों, गांव के छोटे-छोटे बढ़ई, लोहार आदि को बढ़ावा देने का है।

0- आप कहते हैं कि भाजपा ने अपने घोषणापत्र का 90 प्रतिशत काम नहीं किया, लेकिन भाजपा के शासनकाल में विकास के कार्य तो होते दिख रहे हैं ..
00- भाजपा ने जो मूल घोषणाएं गरीबों-आदिवासियों के लिए की थीं जैसे गाय बांटने का वादा किया था, बेरोजगारी भत्ता बांटने की बात कही थी, किसानों के लिए जो कहा था उसे पूरा नहीं किया। भाजपा के प्रति ग्रामीणों और किसानों में रोष हम देख रहे हैं। वे इनके व्यवहार, रवैए और भ्रष्टाचार से आक्रोशित हैं। उस आक्रोश का कांग्रेस को निश्चित ही फायदा मिलेगा ऐसा मैं मानता हूं। मुझे विश्वास है कि इस सरकार के प्रति लोगों में जो निराशा है हमें उसका लाभ मिलेगा। हमे यह मालूम है कि भाजपा हमारी गल्तियों की वजह से जीती है। भाजपा को 1998 में 39 प्रतिशत वोट मिले थे और उसमें इन्हें 36 सीटें मिली थीं और अभी इन्होंने 39 प्रतिशत वोट में 50 सीटें जीतीं। इसके पीछे कांग्रेस के बिखराव की भूमिका थी। इसलिए हमारा पहला प्रयास कांग्रेस के बिखराव को समाप्त करना है जिसमें हम लगभग कामयाब हो रहे हैं और चुनाव के समय तक हम पूरी तरह से इस बिखराव को समाप्त करेंगे। कांग्रेस एकजुट होकर चुनाव लड़ेगी तो आनेवाली सरकार कांग्रेस की होगी।

0- राजनीति में महत्वाकांक्षाओं को किस तरह से देखते हैं? उनका टकराव ही तो कांग्रेस के बिखराव का कारण है...
00- महत्वाकांक्षाओं का टकराव तो राजनीति में होते ही रहता है। लेकिन आज की तारीख में सोनिया जी के निर्देश पर दिल्ली में जो बैठकें एआईसीसी में हुई हैं, उसमें सबने अपना मतभेद भुलाने का प्रयास किया है और हम लोग कांग्रेस के लिए सरकार बनाना चाहते हैं, सोनिया जी के लिए सरकार बनाना चाहते हैं। हमारे किसी के मन में मुख्यमंत्री बनने का लालच नहीं है। मैंने और विशेषकर कर्मा जी ने एआईसीसी की मीटिंग में हमारे वरिष्ठ नेताओं को साफतौर पर कह दिया है कि हमको आप काम करने दीजिए। सरकार हम बनाकर आपको दे रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने की हमारी कोई मंशा नहीं है। आप जिसको भी चाहें मुख्यमंत्री बनाएं हमारा इसमें कोई टकराव नहीं है।

0- दो रुपए किलो चावल की जो बात कांग्रेस कर रही है उसे कांग्रेस शासित रायों से क्यों नहीं शुरू किया जाता, यह सवाल विरोधी पूछ रहे हैं...
00- हमारा कांग्रेस शासित राय छत्तीसगढ़ से लगा हुआ आंध्र प्रदेश है। वहां हम दो रुपए किलो में चावल दे ही रहे हैं। ऐसा नहीं है कि भाजपा के तीन रुपए चावल की घोषणा के बाद हमने सोचा। मैं भाजपा से पूछना चाहूंगा कि उनकी किन-किन रायों में सरकार है और वे किन-किन रायों में तीन रुपए में चावल दे रहे हैं।

0- कांग्रेस गुजरात चुनाव परिणाम का किस तरह से विश्लेषण करती है? भाजपा उसे छत्तीसगढ़ में दोहराने का अगर प्रयास करती है तो ऐसी स्थिति में कांग्रेस क्या करेगी ?
00- गुजरात में भाजपा ने सांप्रदायिकता फैलाकर और लोगों को बांटकर चुनाव लड़ा था। छत्तीसगढ़ की जो जमीन है वह इन चीजों को सहन नहीं करती है। यहां वैसे हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई के बीच झगड़े नहीं हैं जैसे गुजरात में हैं। यहां लोगों में एका है, सामाजिक समरसता है इसलिए गुजरात का कोई प्रयोग यहां सफल नहीं हो पाएगा।

0- चुनावों में इतना ज्यादा खर्च क्या जरूरी है? इसका कोई विकल्प नहीं है क्या?
00- आजकल समाचारपत्रों, इलेक्ट्रानिक मीडिया का जमाना है और सब लोग चाहते हैं कि समाचारपत्रों और इलेक्ट्रानिक मीडिया के जरिए चुनाव का प्रचार हो। इन कारणों से कुछ चुनाव खर्च तो बढ़ जाते हैं। फिर भी कांग्रेस पार्टी कम से कम खर्च में चुनाव लड़ते आई है और धन-बल का यहां यादा उपयोग नहीं रहा है।

0- रमन सरकार के कामकाज बारे में क्या कहना चाहेंगे?
00- मैं ऐसा मानता हूं कि रमन सरकार में जितने भी मंत्री बने हैं उनमें एकाध को छोड़कर किसी को भी अनुभव नहीं है। इसलिए राजकाज क्या होता है उनको समझ में नहीं आता है। इतने हल्के ढंग से किसी बात को कह जाते हैं जैसा कि अजय चंद्राकर जी ने कहा कि सरकार बच्चे पैदा नहीं करती। ये कोई छोटी-मोटी बात नही है कि एक सरकार का जिम्मेदार शिक्षामंत्री जिसकी प्राथमिक जिम्मेदारी लोगों को शिक्षित करने की है वो इस तरह की अनर्गल और अलोकतांत्रिक बात करे, जिसे दिमाग का दिवालियापन कहा जा सकता है। इस प्रकार के कई मंत्री हैं जिन्हें इस बात का होश ही नहीं है कि मुख्यमंत्री का, मंत्री का और सरकार का क्या दायित्व है। उन्होंने लालबत्ती ले ली, जितना पैसा आ रहा और जितनी व्यवस्था हो रही है सब भ्रष्टाचार में लगा रहे हैं मगर कर कुछ नहीं रहे हैं।

0- राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़िया की क्या स्थिति है और यहां की संस्कृति के साथ क्या हो रहा है?
00- राय बनने के बाद छत्तीसगढ़ियों की जो स्थिति है वह पूरी तरह से दोयम दर्जे की है। मैं इस बात को विस्तार से नहीं कहना चाहूंगा लेकिन यह सौ प्रतिशत कह सकता हूं कि राय बनने के बाद ं कांग्रेस सरकार में छत्तीसगढ़िया लोगों को आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा था पर उसके बाद जबसे रमन सरकार आई है तब से छत्तीसगढ़ का कोई मंत्री न तो पनप सका और न बढ़ सका है। यहां के मंत्रियों को दोयम दर्जे में रखा गया। छत्तीसगढ़ियों को दोयम दर्जे पर रखा गया। भाजपा सरकार में जो लोग बाहर से आकर छत्तीसगढ़ में काम और व्यापार कर रहे हैं उन्हीं के यहां पौ-बारह हुए हैं। मैं यह कह सकता हूं और इस बात को आगे भी कहूंगा। छत्तीसगढ़ में एक कहावत है कि पेट में भात और छाती में लात। छत्तीसगढ़ियों के सम्मान के साथ भाजपा ने खिलवाड़ किया, हमारे सम्मान को तवाो नहीं दी। छत्तीसगढ़ की जो परंपरा-संस्कृति रही है आपस में मिलना, भेंट करना। यहां संत कबीर, बाबा घासीदास की जो सामाजिक शिक्षा है और प्रेम का संदेश था जिसके कारण हम लोगों में आपस में एकता और प्रेम था उसे इन्होंने खत्म करने और तहस नहस करने का प्रयास किया है।

0- डा. रमन सिंह की छवि आगामी विधानसभा चुनाव में क्या प्रभाव डालेगी?
00- डा. रमन सिंह की छवि चुनाव में कोई प्रभाव नहीं डालेगी।आखिर सभी मंत्रियों के नेता वही हैं। जो भी भ्रष्टाचार हुआ है वे उसके बराबर के भागीदार हैं। भाजपा सरकार ने यहां के किसानों, गरीबों, ग्रामीणों और छत्तीसगढ़ियों के साथ जो भी अन्याय किया है उसके प्रथमत: जिम्मेदार डा. रमन हैं। मैं नहीं मानता कि उनकी सरलता वाली जो छवि है वह किसी काम आनेवाली है।

1 Comment:

Samrendra Sharma said...

lege raho babloo bhai interviev lamba hai pura padh nahi paya kishtoo main padhunga ek pant do kaaj blog ke liye badhai

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