दिसंबर में अबुझमाड़ में घुसेगी पुलिस


अब पुलिस वार करेगी नक्सलियो पर

( 22 अक्टूबर 2007 को हिन्दी दैनिक नेशनल लुक में प्रकाशित)


बबलू तिवारी-रायपुर।

अगर केंद्रीय गृह मंत्रालय से पूरा सहयोग मिला तो दिसंबर से छत्तीसगढ़ पुलिस रेड कारीडोर के केंद्र अबुझमाड़ में हमले करना शुरू कर देगी। पीएचक्यू ने इसके लिए अपनी ओर से पूरी तैयारी कर ली है। केंद्र से नागा बटालियन के बदले मिलने वाली नई बटालियन के यहां पहुंचते ही आपरेशन शुरू कर दिए जाएंगे। आपरेशन की जिम्मेदारी आईजी गिरधारी नायक को सौंपी गई है।
पीएचक्यू सूत्रों के मुताबिक अबुझमाड़ में घुसने की तैयारी मुख्यालय ने 6 माह पहले ही पूरी कर ली थी, लेकिन केंद्र से हेलीकाप्टर समय से ना मिल पाने तथा नागा बटालियन की पुन: पदस्थापना ना हो पाने की वजह से इसे टाल दिया गया था। अब चूंकि हेलीकाप्टर केंद्र द्वारा उपलब्ध करा दिया गया है तो पीएचक्यू अपनी तैयारी को अंतिम रूप देने में लग गया है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि पीएचक्यू आपरेशन के नेतृत्व के लिए सेना के अनुभवी अधिकारियों या नागा बटालियन के कुछ अफसरों को आपरेशन तक यहां पदस्थ करने की मांग केंद्र से कर रहा है।

एसटीएफ में 12 सौ से अधिक जवान 
राज्य के अलग-अलग नक्सल प्रभावित जिलों में इस समय स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के 12 सौ से अधिक जवान नक्सलियों से मोर्चा संभाल रहे हैं। इनमें से करीब 200 को स्पेशल आपरेशंस में भी शामिल किया जा रहा है। इन सभी जवानों को कांकेर जंगलवार स्कूल में टे्रनिंग दी गई है। बताते हैं कि ये जवान जंगल में मोर्चा संभालने में दक्ष हैं। हालांकि कम से कम 6 माह तक नक्सली क्षेत्र में काम कर चुके जवान को ही आपरेशन के लिए सिलेक्ट किया गया है।
चप्पे-चप्पे का नक्शा
पीएचक्यू ने पूरी योजना का ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है। अबुझमाड़ के दुर्गम इलाकों के हवाई मैप के सहारे फोर्स के अटैक की रणनीति बनाई गई है। सूत्रों का कहना है कि तीन महीने पहले टोही विमान द्वारा खींचे गए फोटो में करीब दर्जन भर नक्सली कैंप की पहचान की गई है। जहां सबसे पहले हमला किया जाएगा। आपरेशन टीम की मदद के लिए अबुझमाड़ इलाके के जानकार एसपीओ की एक टीम भी शामिल की गई है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि नक्शे से दुर्गम इलाकों में जाने वाले सभी मार्ग, रूकने के लिए सुरक्षित ठिकानों की पहचान कर ली गई है।
जिलों व राज्य की सीमाएं होंगी सील
सूत्रों का कहना है कि हमले के समय अबुझमाड़ से लगे प्रदेश के सभी जिलों व दूसरे राज्यों की सीमाओं को सील कर दिया जाएगा। इसके लिए पड़ोसी राज्यों की पुलिस से बात कर लिया गया है। बताते हैं कि नक्सलियों के ऊपर जब पुलिस ताबड़तोड़ हमला करना शुरू करती है तो वे समीपवर्ती राज्य की सीमा पार कर जाते हैं। इसके लिए डेढ़ माह पहले ही केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों व नक्सल प्रभावित राज्यों के पुलिस अधिकारियों के साथ पीएचक्यू में एक ज्वाइंट आपरेशन पर विचार-विमर्श किया गया था। जिसमें एक राज्य में होने वाले आपरेशन के दौरान दूसरों राज्यों द्वारा सीमाएं सील करने पर सहमति बनी थी।
जरूरी संसाधन तैयार
पीएचक्यू के रणनीतिकारों का कहना है कि जहां तक संभव होगा आपरेशन टीम को हेलिकाप्टर द्वारा ही टारगेट के आसपास ड्राप किया जाएगा। आपरेशन टीम नाइट वीजन डिवाइस, सेटेलाइट फोन, लैंड माइंस सर्च डिवाइस, बुलेटप्रूफ जैकेट आदि से लैस रहेगी। इसमें से ज्यादातर चीजें तो पुलिस के पास पहले से मौजूद हैं, लेकिन और मात्रा की खरीदी के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुमति मांगी गई है।

नक्सलियो के ट्रेनिंग कैंपों पर पुलिस का हमला

( 17 मार्च 2008 को हिन्दी सांध्य दैनिक 'छत्तीसगढ़' में प्रकाशित)
 

रायपुर। छत्तीसगढ़ पुलिस ने नक्सलियों के बेस कैंपों पर हमला शुरू कर दिया है। दस दिन पहले दंतेवाडा-बीजापुर के जंगलों में सालभर चलने वाले ट्रेनिंग कैंपों पर ग्रे-हाउंड-एसटीएफ-सीआरपीएफ की टीम ने हमला किया था। उस समय टीम को आंशिक सफलता भी मिली थी। अभी पुलिस की तीन संयुक्त टीमें अबुझमाड़ में घुसी हुई हैं। बताते हैं कि दो संयुक्त टीम बीजापुर-दंतेवाड़ा के जंगलों में भी रवाना हुई हैं। बस्तर आईजीपी आरके विज ने ऐसे अभियान चलते रहने की जानकारी दी है। पुलिस मुख्यालय व बस्तर में नक्सल आपरेशन की कमान संभाल रहे अफसरों के मुताबिक इस समय तीन से अधिक संयुक्त टीमें अबुझमाड़ में घुसी हुईं हैं। प्रत्येक टीम में तीन सौ से अधिक फाइटर जवान हैं। हालांकि यहां नक्सलियों को उंचाई का फायदा मिल रहा है। पुलिस ने अभी आसान और कम पहाड़ी वाले इलाकों में स्थित नक्सली ठिकानों पर अपने आपरेशन को सीमित रखा है। बताते हैं कि पिछले दो तीन से चल रहे इस अभियान में पुलिस को काफी सफलता मिली है। इस बीच अबुझमाड़ से लगने वाले जिलों व रायों की सीमाओं की सील कर दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि संभव है कि टीमें वापस लौटने की बजाय सीधे महाराष्ट्र सीमा तक निकल जाएं। पुलिस की दो वाइंट टीम दंतेवाड़ा-बीजापुर के जंगलों में भी घुसी हैं। बताते हैं कि यहां अबुझमाड़ से भी यादा ट्रेनिंग कैंप नक्सली सालभर चलाते हैं। इस इलाके में नक्सलियों का आधार काफी मजबूत माना जाता हैं। इंटेलीजेंस के मुताबिक यहां अभी महाराष्ट्र, आंध्रा, बिहार, झारखंड व छग के करीब 2000 लोगों को नक्सली ट्रेनिंग दे रहे हैं। करीब सालभर पहले टोही विमान से ली गई तस्वीरों में यहां दर्जनभर से अधिक कैंपों की पहचान की गई थी। टोही विमान से लिए गए चित्रों के जरिए पुलिस ने एक्सपर्ट की मदद से पूरे इलाके का नक्शा तैयार कराया है। जिसमें इन इलाकों की पहाड़ियों की उंचाई, नदियों और तालाबों की चौड़ाई जैसे बारीक आंकड़े तक पुलिस के पास है। पुलिस आपरेशन में इन नक्शों की भी मदद ले रही है। प्रत्येक टीम सेटेलाइट फोन और नाइट वीजन डिवाइस से लैस बताई गई है।

1 Comment:

Sanjeet Tripathi said...

स्वागत है आपका हिन्दी ब्लॉगजगत में!
खुशी हुई
रायपुर/छत्तीसगढ़ से एक और ब्लॉग देखकर!!!
शुभकामनाएं

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