आनलाइन जिंदगी में ताक-झांक



( 7 जनवरी 2007 को दैनिक हरिभूमि में प्रकाशित)

इक्कीसवीं सदी में पांव रखते-रखते जमाना पूरी तरह हाईटेक हो गया। दुनिया छोटी और जिंदगी आनलाइन हो गई। संचार क्रांति ने पूरी दुनिया को एक सूत्र में तो पिरो दिया लेकिन आनलाइन जिंदगी में ताक-झांक ने सभी की नींदें उड़ा दी हैं। मोबाइल हैंकिंग, क्रेडिट, डेबिट कार्ड के क्लोन बनाकर बैंक खातों के रकम भी पार हो रहे हैं। इंटरनेट और मोबाइल पर सिमट आई दुनिया की पड़ताल कर रहे हैं बबलू तिवारी

आनलाइन जिंदगी में ताक-झांक
पहले दुनिया इंटरनेट के जरिए सिमटी तो बाद में मोबाइल क्रांति ने रही-सही कसर पूरी कर दी। अब जब लोग आनलाइन होकर अपने बहुत से काम मिनटों में निपटाने लगे हैं, तब एक बड़ा खतरा भी पांव पसारने लगा है। वह है लोगों की जिंदगी में इन्हीं आनलाइन तकनीकों के माध्यम से तांक-झांक का। मामला ताक-झांक तक ही सीमित रहे तो भी खैर मानिए। तकनीक के अपराधी तो अब आपकी पर्सनल जानकारी चुराकर न केवल उसका धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं, बल्कि इसके जरिए आप को लाखों-करोड़ों का चूना भी लगा सकते हैं। इंटरनेट के जरिए आनलाइन सर्विसेस में सेंध लगाने के साथ अब मोबाइल फोन की भी हैकिंग होने लगी है। न जाने कब आपके इंटरनेट बैकिंग खाते से लाखों-करोड़ों रुपए इधर से इधर हो जाएं। और न जाने कब आप के मोबाइल नंबर तथा क्रेडिट व डेबिट कार्ड का क्लोन बनाकर कोई दूसरा इस्तेमाल कर ले। आनलाइन अपराध में सबसे बड़ी बात यह होती है कि आपको जानकारी होने तक अपराध हो चुका होता है। यहीं नही अपराधी दुनिया भर में कहीं भी बैठकर अपराध को अंजाम देता है। इससे भुक्तभोगी के पास सिवाय हाथ मलने के कुछ नही बचता है। तब पता चलता है कि दुनिया जितनी छोटी है उतनी बड़ी भी।

कौन हैं तांक-झांक करने वाले?
दुनिया का कोई भी व्यक्ति तांक-झांक करने वाला हो सकता है। इन्हें खोजना इतना मुश्किल है जैसे बड़े गंदे तालाब में छोटी मछली ढूढने जैसा। ये लोग भौगोलिक सीमा नही मानते हैं। इनकी कोई पहचान नहीं होती। तकनीकी जानकारों ने इन्हें दो नाम दिए हैं, पहला हैकर्स दूसरा क्रेकर्स। हैकर्स को थोड़ा कम खतरनाक माना जाता है। क्योंकि ये मजे के लिए जानकारियां चुराते और इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्रेकर्स शुध्द रुप से अपराधी होते हैं। या ऐसा भी कह सकते हैं जिन हैकर्स द्वारा किसी वेबसाइट को हैक कर उसकी गुप्त जानकारियों चुराकर उनका इस्तेमाल कर आर्थिक-शारीरिक-मानसिक नुकसान पहुंचाया जाता है उन्हें क्रेकर्स की श्रेणी में रखा गया है। आजकल क्रेकर्स आपस में समूह बनाकर काम करते हैं। इनके सदस्य कई देशों में फैले होते हैं। तथा ये सुनियोजित व संगठित होकर साइबर अपराध को अंजाम देते हैं। इन्हें साइबर अपराधी भी कहा जाता है।

स्थिति भयंकर हो सकती है
अगर जल्द ही हैकर्स पर लगाम नही लगती है तो इन हैकर्स के आतंकवादियों के साथ मिलकर काम करने से दुनिया मुसीबत में फंस सकती है। मान लीजिए किसी हैकर्स ने ही थ्रो या किसी अन्य बड़े एअरपोर्ट के टे्रफिक कंट्रोल सेंटर के कंप्यूटरों में सेंध लगा ले या एअरपोर्ट के रडार के डिस्पले बोर्ड को निष्क्रिय कर दे। या फिर अमेरिका या अन्य देशों के कंप्यूटर नियत्रिंत परमाणु बमों के स्टार्टर पैनल में सेंध लगाकर राष्ट्रपति या रिलीजिंग अथारिटी का पासवर्ड चुरा ले तब क्या स्थिति होगी। यही नहीं दुनिया भर की बिजली सप्लाई, टेलीफोन आपरेटिंग प्रणाली व कंप्यूटर नियत्रिंत पानी सप्लाई व्यवस्था के कंप्यूटर प्रणाली में घुसपैठ करने पर क्या होगा।

साइबर अपराध के प्रकार
0. वेबसाइटों को हैक कर उनकी जरूरी जानकारियों को नष्ट कर साइटों पर अपना संदेश लिख देना
0. सेवा प्रदान करने वाली साइटों को नष्ट कर देना या सूचनाएं चुराकर उनका अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना या फिर उसपर कंट्रोल करके कुछ भी कार्य कर लेना
0. क्रेडिट व डेबिट कार्ड के डिटेल्स चुराकर उसका आनलाइन शापिंग में इस्तेमाल करना
0. इंटरनेट बैकिंग का पासवर्ड चुराकर खाते से पैसे निकाल लेना
0. क्रेडिट, डेबिट व मोबाइल फोन का सोर्स कोड चुराकर क्लोन बनाकर उसका इस्तेमाल करना

कोई भी बन सकता है हैकर्स
हैकर्स बनने की प्रक्रिया इतनी आसान है कि कोई भी कंप्यूटर व इंटरनेट का जानकार इसे कर सकता है। इसके लिए इंटरनेट पर हजारों वेबसाइट उपलब्ध हैं। जिसमें हैकिंग के तरीके के अलावा करीब तीस हजार साइटों के कोड उपलब्ध हैं। इन साइटों से ही आप कई सारे फ्री हैकिंग साफ्टवेयर व एप्लीकेशन डाउनलोड कर सकते हैं। हैकर्स के कई यूनियन भी हैं। जिनके आप सदस्य बनकर हैकिंग के नए-नए साफ्टवेयर पा सकते हैं। साथ ही कई साइटों पर भुगतान के बाद ऐसे साफ्टवेयर उपलब्ध कराए जाते हैं। चीन के लायन नाम के हैकर्स द्वारा बनाई गई हैकर्स यूनियन आफ चाइना को काफी लोकप्रियता मिली है। चीन के खिलाफ काम करने वाली सरकारों की हजारों वेबसाइटों को इस यूनियन ने नष्ट कर दिया। जिसमें व्हाइट हाउस, अमेरिकी दूतावास साइट सहित अमेरिकी सरकार की कई विभागों की साइट, जापान सरकार की कई साइट शामिल हैं।

सजा कम या नहीं के बराबर

साइबर क्राइम में अगर चीन, अमेरिका व बिट्रेन को छोड़ दे तो बाकी देशों में अपराधी के गिरफ्त में आने के बाद भी या तो उसे नाम मात्र की सजा होती है या फिर वह मामूली जुर्माना देकर छूट जाता है। चीन में सबसे ज्यादा कड़ी सजा का प्रावधान हैं। यहां साइबर अपराधियों को मौत तक की सजा दी जाती है। जबकि अमेरिका व बिट्रेन में इसके प्रकार के हिसाब से सजा का प्रावधान है।

पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन
हैकर्स व के्रकर्स दुनिया के किसी भी हिस्से में बैठकर अपराध को अंजाम देते हैं। अलग-अलग देश में बैठकर कर ये एक गिरोह में काम करते हैं। इसका एक उदाहरण भारत में निजी क्षेत्र की आईसीआईसीआई बैंक के साथ सन 2005 में सामने आया। पहले तो स्वीडन के किसी क्रेकर्स ने बैंक के पर्सनल डाटा बैंक में घुसकर ग्राहकों के ईमेल आईडी चुराया। फिर बिट्रेन से इन ईमेल आईडी पर मैसेज भेजा गया कि इंटरनेट बैकिंग के कामकाज को बैंक अपग्रेड कर रहा है। अत: अपने इंटरनेट बैकिंग के खाते में एक बार लागइन करें। मालूम हो कि यह ईमेल आईसीआईसीआई बैंक के कस्टमरकेयर के आईडी से किया गया। लागइन करने के लिए ईमेल में ही एक डायरेक्ट लिंक दिया गया था। लेकिन इस पर लागइन करने पर आईसीआईसीआई बैंक के होमपेज का हूबहू नकली पेज खुलता था। इसपर खाते में लागइन करने के लिए सेम फीचर दिया हुआ था। जांचकर्ताओं ने जब इस पेज की जांच की तो यह जर्मनी में बनाई गई आईसीआईसीआई बैंक के नाम से एक जाली वेबसाइट थी। इस साइट में एक बार अपना आईडी व पासवर्ड डालने के बाद वेबसाइट अपने आप बंद हो जाती थी। तथा कुछ मिनटों के अंदर ही फ्रांस से कोई क्रेकर्स उस आईडी व पासवर्ड की मदद से बैंक की वेबसाइट में लागइन करके खाते में रखी रकम को अमेरिका के किसी बैंक में आनलाइन ट्रांसफर कर लेता था। इस प्रकरण के सामने आने के बाद बैंक को काफी प्रचार-प्रसार करना पड़ा। दूसरी घटना बिट्रेन की है यहां एक के्रडिट कार्ड कंपनी के डाटाबेस से कई ग्राहकों के सोर्स कोड चुराकर उसके क्लोन बनाए गए। फिर उस क्लोन क्रेडिट कार्ड को लेकर एक व्यक्ति इंडिया आता है, तथा विभिन्न बैंकों के लगे एटीएम मशीन से बारी-बारी से पैसे निकालकर यहां से चलता बनता है। मालूम हो कि सभी क्रेडिट कार्ड वीजा, मास्टरकार्ड या इन्हीं की तरह अन्य आनलाइन पेमेंट साफ्टवेटर के डाटाबेस पर रन करते हैं।

एंटी वायरस साफ्टवेयर रखें
इन घटनाओं से पूरा बचाव तो मुमकिन नही है फिर भी एंटी वायरस के उपलब्ध हजारों साफ्टवेयर में से जरूरी साफ्टवेयर अपने कंप्यूटर व मोबाइल में जरूर इंस्टाल करके रखें। ये काफी हद तक हैकर्स के हमले से आपके कंप्यूटर व डाटा को सुरक्षित रख सकते हैं। बगैर पहचान वाली ईमेल व मैसेज न खोलें। ज्यादा आवश्यकता होने पर कंप्यूटर सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट की एडवाइज लें तथा उसके सुझाव के अनुसार साफ्टवेयर इंस्टाल करें। कंप्यूटर में उतनी ही जानकारी रखे जितनी जरूरी हों।

हैकर्स की बड़ी वारदातें
0. लव बग वाइरस ने दुनियाभर के लाखों कंप्यूटर प्रणाली व उसमें रखे आकड़ों को नष्ट कर दिया था। इसकी चपेट में अत्यधिक सुरक्षित कहे जानें वाले पेंटागन, सीआईए व ब्रिट्रिश पार्लियामेंट की कंप्यूटर प्रणाली भी आगई थी। इस वायरस की चपेट में आने से करीब 10 बिलियन डालर का नुकसान हुआ था। हालांकि बाद में इस वाइरस को बनाकर फैलाने वाला हैकर्स फीजीउस्मान नामक युवक पकड़ में आ गया था।
0. किम यांग चुंग (लव यू) नामक दक्षिण कोरिया के हैकर्स ने कोरिया के दो टीवी प्रसारण केंद्रों के कंप्यूटर प्रणाली में सेंध लगाकर उसका प्रसारण रोक दिया था।
0. चीन में दो भाइयों ने एक बैंक की कंप्यूटर प्रणाली में सेंध लगाकर 30 हजार डालर पार कर दिए। जिन्हें बाद में पकड़ लिया गया और चीन की सरकार ने उन्हें मौत की सजा दे दी।
0. ऑनलाइन आर्थिक लेन-देन का डाटा व आपरेटिंग सिस्टम उपलब्ध कराने वाली मास्टरकार्ड के डाटा बैंक से सैकड़ों लोगों के डिटेल चुरा लिए गए। जिसमें माइक्रोसाफ्ट के चेयरमेन बिल गेटस के क्रेडिट कार्ड का डिटेल भी शामिल था।
0. लिनक्स,बोब,एमएस डोस 3.3 जैसे प्रसिध्द साफ्टवेयर के सोर्स कोड चुरा लिए गए।
0. सन 2000 में हैकर्स ने बिल गेटस मेलिंडा फाउंडेशन के दानदाताओं के साथ बिल गेटस के पर्सनल कंप्यूटर से पिछले पांच साल के डिटेल में सेंध लगा दिया।
0. एसबीआई बैंक के इंटरनेट बैकिंग के डाटाबेस में सेंध लगाकर कामकाज प्रभावित किया
0. केविन मिटनिक नामक हैकर्स ने अमेरिका की एक टेलीफोन कंपनी का साफ्टवेयर चुरा लिया। इसके बाद उसने क्रेडिट कार्ड कंपनी के डाटाबेस में घुसकर 2 हजार कार्डों का डिटेल चुरा लिया।
0. बैंगलोर के एक हैकर्स ने लंदन के एक व्यक्ति के इंटरनेट बैकिंग खाते में सेंध लगाकर दो करोड़ रुपए पार कर दिए।
0. लिटिलफिच नामक हैकर्स ने सीआईए के कंप्यूटर प्रणाली में सेंध लगाई।

0 Comments:

हिन्दी ब्लॉग टिप्सः तीन कॉलम वाली टेम्पलेट