"भाजपा के लोगों को मालामाल किया जा रहा"


(रायपुर, 24 अप्रैल 2008, दोपहर 11.30 बजे)

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री और मंदिर हसौद के विधायक सत्यनारायण शर्मा मानते हैं कि भाजपा का भ्रष्टाचार आने वाले चुनाव में एक बड़ा मुद्दा होगा। ऊंची दरों पर अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए योजनाबध्द ढंग से काम किया जा रहा है। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में भयमुक्त प्रशासन का वादा किया लेकिन इसके कार्यकर्ता गांवों में लोगों को डराते-धमकाते हैं, झूठे मामलों में फंसाते हैं। जनता चुपचाप यह सब देख रही है और उसकी खामोशी का खामियाजा भाजपा को चुनाव में उठाना पड़ेगा। श्री शर्मा का कहना है कि भाजपा के शासनकाल में छत्तीसगढ़ की संस्कृति का नुकसान हुआ है। बाहरी लोगों को बुला बुला कर मालामाल किया जा रहा है। छत्तीसगढ़िया लोगों की हालत खस्ता है। छत्तीसगढ़ में गुजरात के दोहराव की वे संभावना नहीं देखते। उनका मानना है कि छत्तीसगढ़ की जनता की जागरूकता और भाईचारा किसी सांप्रदायिक इरादे को सफल नहीं होने देगा। बबलू तिवारी ने संजय  शुक्ला  के साथ उनसे आगामी विधानसभा चुनाव के संदर्भ में बात की-

0 आगामी विधानसभा चुनाव में आपकी पार्टी किन मुद्दों के साथ जनता के बीच जा रही है?
00 कांग्रेस शासनकाल में जनभावना के अनुरूप जो व्यवस्था थी, उसे लोग आज भी याद करते हैं। भाजपा के शासनकाल में सर्वाधिक भ्रष्टाचार हुआ जो किसी से छुपा नहीं है। चाहे वह रतनजोत की आड़ में किया गया भ्रष्टाचार हो, मोवा धान घोटाला हो, चावल की अफरातफरी हो, जिस गोदाम की क्षमता 10 हजार मीट्रिक टन नहीं है वहां ये उससे कई गुना यादा स्टोरेज बताते हैं। कुल मिलाकर भाजपा का सारा काम कागजी ही रहा है। कांग्रेस का मुख्य मुद्दा भाजपा का भ्रष्टाचार रहेगा। इन्होंने भय, भूख और भ्रष्टाचार मिटाने की बात अपने घोषणापत्र में कही थी, लेकिन इनके कार्यकाल में भय बढ़ा है, गांवों में भाजपा के कार्यकर्ता लोगों को डराते-धमकाते हैं, झूठे मामलों में फंसाते हैं। इन्होंने सैकड़ों समस्या समाधान शिविर लगाए पर लोगों को कोई राहत नहीं मिली। अभी ग्राम सुराज में भी वही किया जा रहा जिससे कोई हल निकलने वाला नहीं है। गर्मी में जनता पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर रही है। वह सारी बात जानती-समझती है, पर इस समय खामोश है और यही खामोशी भाजपा के लिए खतरा है। भाजपा के शासन में अफसरशाही बढ़ी है, निरंकुशता बढ़ी है, नियम-कायदों की धज्जियां उड़ाकर अपने ढंग से इसने काम किया है। भाजपा के लोग पूरे समय अपनी जेबें भरने में लगे रहे, मालामाल हो गए और जनता गरीब होती जा रही है। इन मुद्दों के साथ ही केंद्र की यूपीए सरकार द्वारा किसानों का कर्ज माफ करना, रोजगार गांरटी योजना के माध्यम से बेरोजगारों को रोजगार देना आदि हमारी पार्टी के मुद्दे रहेंगे।

0. भाजपा के लोग कहते हैं कि आपकी पार्टी में गुटबाजी हावी है जिसका उन्हें लाभ मिलेगा?

00. यह भाजपा का सपना है। हमारी पार्टी विशाल है, इसका इतिहास 125 वर्ष पुराना है। बड़ी होने के नाते ये बातें हो सकती हैं। लेकिन समय आने पर हमारे सभी लोग एकजुट होकर चुनौतियों का सामना करते हैं। समय का इंतजार कीजिए हमारे सभी नेता एकजुट होकर भाजपा के मंसूबों को नाकाम कर देंगे।

0. कांग्रेस के कई नेताओं की महत्वाकांक्षाएं टकराने की बाते सामने आती रहती हैं, कुछ लोग अभी से अपने आप को सीएम के रूप में प्रोजेक्ट करने लगे हैं?

00. कोई भी व्यक्ति हमारी पार्टी में दावा नहीं कर सकता कि मैं सीएम बनूंगा। पहले चुनाव होता है, लोकतंत्र में चुनकर आए विधायक और हाईकमान के प्रतिनिधि बैठकर इसका फैसला करते हैं। हमारे यहां ऐसी परंपरा नहीं है। हमारे यहां भाजपा जैसा नहीं है कि सब अपने को सीएम बताने लगें। रही बात महत्वाकांक्षा की तो मैं इसे गलत नहीं मानता। लेकिन महत्वाकांक्षा अपनी जगह है और हाईकमान के निर्देश का पालन करना अपनी जगह। और जब हाईकमान का निर्देश मिलता है तो सभी लोग एकजुट होकर काम करते हैं।

0. आप मंदिरहसौद सीट से पांच बार विधायक चुने गए हैं। यहीं से चुनकर अविभाजित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे हैं। आपकी सीट परिसीमन में विलोपित हो रही है। अब कौन सा नया इलाका आपके सामने है? वहां अपनी क्या उपलब्धि लेकर जनता के बीच जाएंगे?

00 मंदिरहसौद विधानसभा सीट पर मेरा यह पांचवां कार्यकाल है। मेरी सेवा भावना और विकास कार्यों की वजह से ही मुझे वहां की जनता ने बार-बार मौका दिया है। लोगों को पता है कि मैं अपने क्षेत्र के काम के लिए चौबीसों घंटे तैयार रहता हूं। मंदिरहसौद में एजुकेशन में सबसे अधिक काम हुआ है। 77 गांवों में 16 हायर सेकेंडरी स्कूल हैं। कोई ऐसा गांव नहीं है जहां सड़क, बिजली, प्राथमिक स्वास्थ्य का इंतजाम न हो। मेरे विधानसभा क्षेत्र में तीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। पीने के पानी के मामले में कोई ऐसा गांव नहीं है जहां 20 हैंडपंप से कम हों। जिस भी नये विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी पार्टी मुझे देगी वहां निर्वाचित होने के बाद जनता की आशाओं के अनुरूप मैं काम करूंगा।

0. आपकी पसंद वाली कोई विधानसभा सीट है क्या?

00. पसंद का सवाल नहीं है। चार विधानसभा सीटें बनी हैं, पार्टी उनमें से जो भी सीट देगी मैं उस पर चुनाव लड़ूंगा।

0. भाजपा की तीन रुपए चावल योजना के बाद आपकी पार्टी ने भी सत्ता में आने पर 2 रुपए किलो चावल देने की घोषणा की है। भाजपा के लोग कहते हैं कि अगर कांग्रेस का ऐसा मन है तो वह दूसरे रायों में जहां कांग्रेस की सरकार है वहां इसे क्यों नहीं शुरू करती?

00. हमारे महामंत्री वी नारायण सामी ने कहा है कि हमारी सरकार बनेगी तो हम दो रुपए किलो में चावल देंगे। इसमें कोई दिक्कत नहीं है। मेरा व्यक्तिगत मानना है कि हम लोगों को भरपेट भोजन देंगे। भाजपा को अपने स्टेट की बात और तुलना करनी चाहिए। दूसरे स्टेट में भाजपा की सरकारें भी हैं, वे वहां इसे क्यों नहीं लागू कर रहे हैं। आवश्यकता पड़ने पर इस पर भी विचार किया जाएगा।

0. आप कह रहे हैं कि भाजपा में बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार है, लेकिन जनता को तो विकास के काम होते हुए दिख रहे हैं?

00. आप कहीं से भी वैल्यूएशन करा लीजिए जो एस्टीमेट बन रहे हैं वह दस गुना यादा कीमत के हैं। सामान्य से ऊंची कीमत पर ठेके दिए जा रहे हैं। लोवेस्ट रेट आता है तो उसे कैंसिल कर देते हैं, अपने-अपने लोगों को देने के लिए फिर से बढ़ी कीमत पर टेंडर बुलाए जाते हैं। जनता सब समझती है, उसे पता है कि कौन काम कितने का है, उसे कितने में किया गया है। काम किस गुणवत्ता का है। जनता को नासमझ समझने वालों के होश चुनाव के बाद उड़ जाते हैं।

0. मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह की जो छवि है उसका भाजपा को कितना फायदा मिलेगा?

00. जनता जानती है कि मुख्यमंत्री के अकेले के बस की बात नहीं है। मुख्यमंत्री भले आदमी हैं इसको हम मान सकते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री की टीम करप्ट है। भाजपा के दूसरे लोग भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। मुख्यमंत्री का कोई नियंत्रण भाजपा के लोगों और अपनी टीम पर नहीं है।

0. नक्सलवाद के मुद्दे पर आपका क्या कहना है?

00. नक्सलवाद के मुद्दे पर हमारी पार्टी ने नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा को बोलने का अधिकार दिया है। इसलिए इस पर जो भी कहना होगा वे ही कहेंगे।

0. बिजली विखंडन के मामले में कर्मचारियों का कहना है कि यहां के स्थानीय नेता इसका विरोध नहीं कर रहे हैं। आपकी पार्टी का क्या कहना है?

00. बिजली बोर्ड के अधिकारियों ने नेता प्रतिपक्ष को इस संबंध में ज्ञापन दिया था। हमारी पार्टी ने तो कहा था कि सरकार संकल्प ले आए हम लोग उसका समर्थन करेंगे। संकल्प लाना सरकार का दायित्व है। सरकार क्या करना चाहती है समझ में नहीं आता।

0. चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को किस-किस चीज का फायदा मिल सकता है?

00. भाजपा को नकारात्मक वोट के चलते सबसे यादा नुकसान होगा और कांग्रेस को इसी का फायदा मिलेगा।

0. महिलाओं को चुनाव में तैंतीस प्रतिशत आरक्षण देने पर आपकी पार्टी का क्या स्टैंड है? भाजपा ने अपने राष्ट्रीय संगठन में महिलाओं को बड़ी संख्या में स्थान देकर इसकी शुरुआत कर दी है।

00. सबसे पहले कांग्रेस सरकार ने महिलाओं को पंचायत के चुनाव में 33 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की थी। भाजपा ने जो महिलाओं को स्थान दिया है वह अपने निजी संगठन में दिया है। वे वहां 100 प्रतिशत महिलाओं को स्थान दे सकते हैं। विधानसभा और लोकसभा में आरक्षण दे कर दिखाएं तो उनकी कथनी-करनी एक होगी।

0. अभी जो वेदांती का मामला सामने आया है उससे आपको नहीं लगता कि भाजपा चुनाव के समय गुजरात पैटर्न इस्तेमाल कर सकती है?

00. छत्तीसगढ़ सात्विक राय है। यहां सांप्रदायिकता जैसी जनता में कोई भावना नहीं है और न ही इसका जनता पर कोई असर होता है। लोगों में आपसी भाईचारा, सदभाव है। इसलिए चाहे वेदांतीजी हों या दूसरे लोग इसका कोई असर होने वाला नहीं है। भाजपा धार्मिक उन्माद उभारने का हर जगह प्रयास करती है, लेकिन छत्तीसगढ़ की जनता समझदार है। इसलिए ये यहां सफल नहीं होंगे।

0. राहुल गांधी का दौरा अभी छत्तीसगढ़ में हो रहा है, उसका कांग्रेस को क्या फायदा मिलेगा?

00. राहुल गांधी जी का दौरा प्रदेश के विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों में हो रहा है, जिसमें वे समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। उसका राय और पार्टी को बहुत फायदा मिलने वाला है। राहुल जी का जो आकर्षण है उससे युवा तबके पर विशेष प्रभाव पड़ेगा और उमंग का संचार होगा। उनके मन में आदिवासियों विशेषकर महिलाओं के लिए जो सम्मान है यही उनकी पहचान है। बगैर पूर्व सूचना दिए वे लोगों से मिलते हैं और जानने का प्रयास करते हैं कि जनता क्या सोचती है, क्या चाहती है, उसका शोषण तो नहीं हो रहा, उसके साथ अन्याय तो नही हो रहा।

0. साढ़े चार साल के भाजपा के शासनकाल में आप छत्तीसगढ़ की संस्कृति को कहां पाते हैं?

00. भाजपा के शासनकाल में संस्कृति के बारे में किए गए कार्यों की प्रगति मुझे डिस्प्ले बोर्ड और विज्ञापनों में ही दिखाई पड़ती है। यही हाल पर्यटन का भी है। हर योजना के झूठे प्रचार और आंकड़ों के लिए करोड़ों रुपए पब्लिसिटी पर बर्बाद कर दिए गए। कुछ लोगों का चेहरा बोर्डों में बार-बार देखकर जनता परेशान हो गई है। उन बोर्डों पर जनता नजर तक डालना नहीं चाहती। इन्होंने यहां के कल्चर का सत्यानाश किया है। छत्तीसगढ़ियों की हालत खस्ता है, बाहरी लोगों को बुला-बुलाकर उन्हें मालामाल किया जा रहा है। इस पार्टी ने संस्कृति के नाम पर सिर्फ धार्मिक उन्माद को उभारने का काम किया है। धार्मिक होना एक अच्छी बात है हम इससे इंकार नहीं करते। लेकिन धर्मान्ध होना खतरनाक है। कट्टरपंथी चाहे हिन्दू हों या मुसलमान सभी देश के लिए घातक हैं। मैं एक ही बात कहना चाहता हूं कि हम सबकी संस्कृति भाईचारे में समाहित है।

"डा. रमन की छवि अच्छी मगर सरकार की नही"


( रायपुर, 23 अप्रैल 2008, दोपहर 12 बजे)

कांग्रेस से कसडोल के विधायक राजकमल सिंघानिया छत्तीसगढ़ में अफसरशाही को भी एक मुद्दा मानते हैं। वे कहते हैं कि सरकार की गर्दन अधिकारियों के सामने झुकी हुई है। उनका कहना है कि डा. रमन सिंह की छवि बहुत अच्छी है, लेकिन उनकी सरकार भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। वे यह भी कहते हैं कि सरगुजा की लड़कियों को महानगरों में बेचा जा रहा है जो छत्तीसगढ़ की अस्मत बिकने के समान है इसलिए इस सरकार को एक दिन भी बने रहने का हक नही है। सिंघानिया मानते हैं कि कांग्रेस के भीतर मतभेद हैं पर मनभेद नहीं। नेशनल लुक के लिए बबलू तिवारी ने उनसे चर्चा की-

0. आगामी विधानसभा चुनाव में आपकी पार्टी क्या-क्या मुद्दे लेकर जनता के बीच जाएगी ?
00
. किसी भी चुनाव में दो बातें होती हैं। एक तो हमने क्या किया और दूसरी विपक्ष की विफलताएं। हमने क्या किया में हमारे पास राय गठन के बाद तीन साल की कांग्रेस सरकार का कामकाज हमारे पास है। जिसमें गुणवत्ता, पारदर्शिता के साथ वाजिब कीमत में विकास के अनेकों काम हुए। कांग्रेस सरकार की हर नीति समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने को लेकर बनाई गई थी। लोगों को उनके गांव में ही रोजगार मिले इसके लिए हर जगह राहत कार्य खोले गए थे। आज भी दौरे के समय ग्रामीण कहते हैं कि जोगी के राज में उनके घर में 2-3 क्विंटल चावल रहता था। हर क्षेत्र में विकास का काम हुआ था। उसके उलट भाजपा सरकार में भी विकास के कार्य हो रहे हैं, क्योंकि केंद्र से इस समय 10 हजार करोड़ रुए से अधिक पैसा प्रतिवर्ष पैसा आ रहा है। लेकिन यहां हर काम में भ्रष्टाचार हो रहा है। एक तो एक रुपए का काम यह सरकार चार रुपए में कर रही है। ऊपर से किसी काम में गुणवत्ता और पारदर्शिता नही है। सारे काम भाजपा के लोगों को नियम-कानून को ताक में रखकर दिए जा रहे हैं। पूरा प्रदेश जानता है कि जोगी के समय गिरौदपुरी में कुतुबमीनार से उंचा जैतखाम बनाने की घोषणा की गई थी। इसके लिए बजट में 10-12 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया गया था। तीन साल तक सोए रहने के बाद चुनाव नजदीक आने पर इनके ऊपर दबाव बढ़ा। सरकार को सतनामी समाज और अनुसुचित जाति की याद आई। इन्होंने भी 17 करोड़ रुपए में जैतखाम बनाने की घोषणा की, इसके लिए गुपचुप तरीके से टेंडर बुलाए। तीन में से दो टेंडर को डिसक्वालीफाई कर दिया गया और रातोंरात एक टेंडर की राशि 17 करोड़ से बढ़ाकर 52.5 करोड़ कर दी। जबकि नियमत: सिंगल टेंडर को काम नहीं दिया जा सकता। काम देना तो छोड़िए इन्होंने रकम भी बढ़ा दी। एनयूटी में भी यही किया गया 1500 किमी की सड़क बनाने के लिए पहले 7-8 हजार करोड़ का बजट रखा गया था उसे रातोंरात बढ़ाकर 17 हजार करोड़ कर दिया गया। विधानसभा में जब हमारी पार्टी ने इस मुद्दे को उठाया तो मंत्री का जवाब था कि टंकण की त्रृटि की वजह से 7 से 17 हजार करोड़ रुपए हो गया। जबकि10 हजार करोड़ रुपए के यादा का एग्रीमेंट कर लिया गया और 15 सौ किमी से उसे बढाकर 25 सौ किमी कर दिया गया। तब यह टंकण त्रृटि कैसे हो सकता है। लेकिन सरकार ने विधानसभा में टंकण त्रृटि बताकर सिे सुधार लिया। इस तरह यह सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त है। गांव, गरीब, किसान की बात करने वाली भाजपा सरकार में किसी की सुनवाई नही है। केंद्र सरकार की रोजगार गारंटी योजना लागू होने से पहले बताएं कि कहां किस विधानसभा और किस ग्राम पंचायत में मजदूरों के लिए काम शुरू किया गया। मजदूरों को बंद लारी में भरकर भाजपा नेता पलायन करवा रहे हैं। किसानों को पानी, खाद के लिए भटकना पड़ रहा है। जिस प्रदेश का श्रम बिक रहा है, जिस प्रदेश की अस्मत बिक रही है, सौ से अधिक लड़किया सरगुजा से गायब हो गई, हमने विधानसभा में सवाल पूछा तो मंत्री कहते हैं कि यह तो होते रहता है। माइनिंग का अधिकार फर्जी कंपनियों को बेचा गया है और उन्हें बचाने का उपाय यह सरकार कर रही है। जो सरकार जिस प्रदेश का राजस्व, अस्मिता बेच जा रही है उसे सत्ता में एक दिन भी रहने का हक नही है। हम इन्हीं सब मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे।

0. आप बोल रहे हैं कि हर विकास के काम में केंद्र के पैसे का दुरूपयोग और भ्रष्टाचार हो रहा है, लेकिन जनता को तो बहुत सारे विकास कार्य होते दिख रहे हैं। जनता को यह कैसे समझाएंगे?
00. देखिए अगर केंद्र से एक हजार करोड़ रुपए सर्वशिक्षा अभियान के लिए आ रहे हैं तो कुछ काम तो दिखोगा ही। सड़क के लिए एक हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं तो कुछ काम तो दिखेगा ही। लेकिन जनता देख रही हैं कि सड़कों की गुणवत्ता कैसी है। ठेकेदार कौन है, सब भाजपा के हैं। कितने यादा कीमत पर सड़क बनाई जा रही है। केंद्र से 10.5 हजार करोड़ का बजट इस साल दिया गया है। उसे इन्हें खच4 करना है। इसके लिए काम तो करना ही पड़ेगा। इससे विकास भी दिखेगा, लेकिन इसमें जो भ्रष्टाचार किया जा रहा है ुसे जनता देख, जान रही है। पूरी सरकार अधिकारी चला रहे हैं, ये उन्हें कस नहीं सकते क्योंकि उन्हीं के माध्यम से ये सारे भ्रष्टाचार कर रहे हैं। ये दबाव कैसे डालेंगे। अधिकारियों के सामने इनकी गरदन झुकी रहती है। जनता को सब पता है।

0. आप व्यक्तिगत रूप से पलायन का मुद्दा विधानसभा और अन्य मंचों पर लगातार उठाते रहे हैं। भाजपा सरकार को इसमें कहां खड़ा पाते हैं?
00. केंद्र की रोजगार गारंटी योजना एक ऐसा माध्यम है कि अगर इसका सफल क्रियांवयन हो तो किसी भी गांव से किसी भी घर से पलायन नहीं होगा। पलायन का मतलब सिर्फ लोगों का पैसे के लिए बाहर जाना नही हैं। बल्कि उसके साथ उसका पूरा परिवार, महिला, जवान बच्चे, बच्चिया सब बाहर जाते हैं। जहां पैसे के साथ ही बाहर इनका शारीरिक और मानसिक शोषण तो होता ही है। इनकी अस्मत का भी शोषण होता है। छत्तीसगढ़ी अस्मिता का शोषण होता है। रोजगार गारंटी में कम से कम 100 दिन का काम दिए जाने की बात कही गई है।अधिकतम में आपको 365 दिन तक काम दिया जा सकता है। लेकिन हमारे यहां राय शासन उन कामों को खोल नहीं रही है। जितने रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं उन्हें काम नहीं दिया आड़ लगाया जा रहा कि जहां से काम मांगा जाएगा वहां काम खोला जाएगा। जबकि हर एक ब्लाक और ग्राम पंचायत से 5-10 काम का प्रस्ताव जमा है। लेकिन सरकार कहती है कि बेरोजगार कलेक्टर को पत्र लिखकर काम मागेगा तो काम खोला जाएगा। अब हमारे यहां के गरीब मजदूर जिनका की पंजीयन हुआ है उन्हें न तो इतनी जानकारी है और न समझ है कि वह कलेक्टर पत्र लिखे। अब आप कहते हैं कि आपके यहां से काम मांगा नहीं गया इसलिए 100 दिन का मुआवजा नहीं देंगे। जबकि ग्राम पंचायतों के माध्यम से काम मांगे गए हैं। यह सरासर अन्याय है। इसी के चलते लोग पलायन करते हैं, आखिर गरीब परिवार को दो जून खाने के लिए तो चाहिए ही? फिर उनका बंधन-शोषण होता है। इसे तो हम जानते हैं। मैने अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में कम से कम 20 टीमें भेजकर जम्मू-कश्मीर, कलकत्ता, यूपी, नागपुर, महाराष्ट्र आदि से लोगों को छुड़ाया। एक-एक जगह से 20-40 लोगों को छुड़ाया गया। कोई जानबुझकर अपना शोषण कराने थोड़ी जाएगा। अगर आपको अपने घर में 500 रुपए का काम मिलेगा तो आप बाहर 2000 हजार का काम करने नहीं जाएंगे। यहां सरकार जानबूझकर काम नहीं खोल रही है। जबकि केंद्र से पूरा पैसा मिल रहा है। रोजगार में परावधान है कि हर हफ्ते काम का भुगतान किया जाएगा। मैं पूरी चुनौती से कहता हूं कि सभी जगह लोगों को 2-3 महीने हो गए हैं काम किए हुए किसी को भुगतान नहीं मिला है। मैंने प्रमाण के साथ कलेक्टर, प्रभारी मंत्री, सीओ जिला पंचायत को इस बारे में लिखा है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। अब जब भुगतान नहीं होगा तो वैल्युवेशन नहीं होगा तब तक काम की समाप्ति नहीं घोषित की जा सकती और जब तक काम की समाप्ति नहीं होगी, नया काम नहीं खोला नहीं जा सकता। इसे जानबूझकर भाजपा कर रही है। क्योंकि उसे डर है कि केंद्र सरकार की इस योजना का फायदा अगर जनता को मिला तो उसका परिणाम चुनाव में उलटा हो सकता है। भ्रष्टाचार के लिए ये लोग बोगस मस्टररोल भरा जा रहा है, इसे मैं दिखा सकता हूं। इसमें मशीनों और ठेकेदारी प्रथा से काम नहीं करवाया जा सकता, लेकिन मैं दिखा सकता हूं कि कहां-कहां यह हो रहा है। दस लाख के काम के लिए 30-30 लाख का एस्टीमेटबनाया गया है। बचे 20 लाख तो भ्रष्टाचार में ही जाएगा ना।

0. कांग्रेस में गुटबाजी की  बात  सामने आती रहती हैं। इसका चुनाव में क्या प्रभाव पड़ सकता है?
00. कांग्रेस बहुत बड़ा परिवार है। बड़े परिवार में मतविभिन्नताएं तो रहती ही हैं। कांग्रेस में मनभेद नही है यहां मतभेद है। चुनाव में वोट जनता को देना है और वह सोनिया जी का काम देख रही है, केंद्र की यूपीए सरकार का काम देख रही है, साथ ही राय सरकार का काम भी देख रही है। वह आपना आंकलन कर चुकी है क्योंकि वह भाजपा सरकार की अकर्मण्यता, निष्क्रियता,भ्रष्टाचार देख रही है। कांग्रेस में थोड़ा बहुत वादविवाद है, मतविभिन्नता है इससे जनता को फर्क नहीं पड़ता वह अपना मन बना चुकी है।

0. डा. रमन की जो छवि है, उसका चुनाव में भाजपा को कोई लाभ मिल सकता है क्या ?
00. डा. रमन की व्यक्तिगत छबि बहुत अच्छी है। सहज, सरल आदमी हैं। राजनीति से अलग हटकर काम करने की सोच रखते हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से उनकी इस स्वभाव का प्रशंसक हूं। पर पांच साल के कार्यकाल में जनता को क्या मिला? गरीब को क्या मिला? चुनाव में जनता इस बात का आंकलन करती है। उसे डा. रमन की छबि से कोई लेना-देना नही है। आज जनता यह देखती है कि उसके गांव में कितनी सड़क बनी, सिंचाई की क्या व्यवस्था हुई, राशन दुकान में सामान मिल रहा है कि नहीं। वह किसी का व्यक्तित्व देखकर वोट नहीं देती।

0. अभी जो वेदांती वाला मामला सामने आया है, उससे क्या नहीं लगता कि भाजपा गुजरात पैटर्न यहां लागू करना चाहती है?
00. निश्चित रूप से वह ऐसा प्रयास कर रही है, वह धार्मिक उन्माद उभारना चाहती है। जो कि छत्तीसगढ़ की फिजा और सदभावना के लिए बहुत गलत होगा। राजिम जो कुंभ का मेला एक धार्मिक मेला है। वह न किसी पार्टी का है और न किसी सरकार का। सरकार की जिम्मेदारी वहां व्यवस्था की है। उसे इन्होंने भाजपा का मंच बना दिया। छत्तीसगढ़ में जो प्रचलित धर्म है उसमें बाबा घासीदास, गुरू कबीरदास आदि धर्मों के बहुत सारे अनुयायी हैं। वहां सिर्फ एक धर्म और भाजपा से जुड़े धर्माचार्यों को ही बुलाया गया। वेदांती तो शुध्द रूप से भाजपाई हैं। जिन्हें रिश्वत के मामले में हटाया गया। वे ऐसे लोगों को बुला रहे हैं जिन्हें शर्म के मारे कहीं आना-जाना नहीं चाहिए और ऐसे लोग मंच से नैतिकता की बात करते हैं।हालांकि छत्तीसगढ़ की जो संस्कृति है उसमें इसे कहीं से भी प्रश्रय नहीं मिलता है। जनता के सामने भाजपा का यह प्रयास खुल गया है और उसे बहुत निंदनीय करार दिया है। इसका खामियाजा भाजपा को चुनाव में पता चलेगा। गुजरात जैसा पैटर्न यहां नहीं चल सकता।

0. आप कसडोल के विधायक हैं। अगले चुनाव में कसडोल की जनता के बीच अपनी क्या उपलब्धि लेकर जाएंगे? साढ़े चार साल के कार्यकाल में अपनी क्या उपलब्धि मानते हैं? लोगों कहते हैं राजकमल बड़े आदमी हैं, जमीन के व्यापारी हैं, जनता के लिए समय कैसे निकालते हैं?
00. मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि कसडोल की जनता से मिले भरपूर प्यार, सहयोग, आर्शीवाद को मानता हूं। मैंने अपनी विधानसभा के सभी 325 गांवों में जाने का प्रयास किया। हर गांव में मैं दो से लेकर दस-दस बार तक जा चुका हूं। मेरा प्रायस रहता है कि सभी से लोगों से मिलूं। रही बात कार्यों की तो एक विधायक का जो अधिकार और दायित्व होता है उसे मैंने पूरा निभाने का प्रयास किया। अपने इलाके में केंद्र की सभी योजनाओं को लागू करवाने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाया। रही बात बड़े आदमी की तो मैंने 15 साल से व्यापार छोड़ दिया है, मैंने 7-8 साल से कोी जमीन नहीं खरीदी है। मैं अपना पूरा समय समाजसेवा और अपने क्षेत्र की जनता को देता हूं। लोगों को शहर में मेरी जमीन देखकर ऐसा लगता है, लेकनि वह मेरी पुश्तैनी जमीन है। उसकी हिफाजत तो मैं करूंगा ही। मैंने जब तक धंधे में सक्रिय रहा तब तक कोई अनैतिक काम करके और गरीब का शोषण करके धन नहीं कमाया। कसडोल की जनता को भी पहले लगा था कि सिंघानिया जी बड़े आदमी हैं, चुनाव जीतने के बाद लौटकर आएंगे की नहीं। अगले चुनाव में मेरा काम जनता बताएगी। मेरी उपलब्धियों में कसडोल में सौ बिस्तर का अस्पताल, प्रत्येक वर्ष करीब सौ करोड़ रुपए की सड़कों का निर्माण, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, स्कूलों की बिल्डिंग समेत लगभग सभी विभागों से पूरा काम करवाया। मैं दावे से बोल सकता हूं कि जितना एक भाजपा का विधायक अपने क्षेत्र में काम करवाया होगा मैंने उससे यादा काम करवाया है। हालांकि भाजपा सरकार ने काम रोकने और पेंडिंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन मैं अपने व्यक्तिगत संबंधों और काम के पीछे पड़कर उसे पूरा करवाया।


0. भाजपा शासन में छत्तीसगढ़ की संस्कृति के लिए क्या काम हुए हैं? छ्तीसगढ़िया के साथ क्या दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है?
00. संस्कृति और पर्यटन में काम तो हो रहा है, लेकिन भ्रष्टाचार यहां भी हावी है। जहां तक छत्तीसगढ़िया की स्थिति की बात है, मैंने 15 साल पहले इस बात को उठाया था कि यहां जो उद्योग या संस्था हैं उनमें स्थानीय लोगों को नौकरी देने का प्रावधान होना चाहिए। रही बात संस्कृति रक्षा की तो जनता ने राजिम मेले में देख लिया है। भाजपा शासन में छत्तीसगढ़ियों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा इसमें कोई शक नही है।





"पिछला चुनाव कांग्रेस अपनी गलतियों से हारी"


( रायपुर, 5 अप्रैल 2008, दोपहर 11.30 बजे )

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. चरणदास महंत का मानना है कि पिछला चुनाव कांग्रेस अपनी गलतियों से हारी थी। इस बार अगर वह मिलकर लड़ी तो अगली सरकार उसी की बनेगी। सोनिया गांधी के नेतृत्व में उन्हें पार्टी एक होती दिख भी रही है। वे बताते हैं- हमारे किसी के मन में मुख्यमंत्री बनने का लालच नहीं है। मैंने और विशेषकर कर्मा जी ने एआईसीसी की मीटिंग में हमारे वरिष्ठ नेताओं को साफतौर पर कह दिया है कि हमको आप काम करने दीजिए। सरकार हम बनाकर आपको दे रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने की हमारी कोई मंशा नहीं है। आप जिसको भी चाहें मुख्यमंत्री बनाएं हमारा इसमें कोई टकराव नहीं है। डा. महंत को लगता है कि भाजपा ने घोषणापत्र में जो वादे किए थे वे पूरे नहीं हुए। इससे जनता नाराज है और इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा। वे छत्तीसगढ में गुजरात दोहराए जाने की गुंजाइश नहीं देखते। उन्हें लगता है कि यहां की जमीन सांप्रदायिकता को बर्दाश्त नहीं करती। राज्य में आम छत्तीसगढ़िया की स्थिति उन्हें पीड़ादायक लगती है। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़िया को दोयम दर्जा दिया गया है, उसके आगे बढ़ने की संभावनाएं नहीं हैं। पिछली सरकार के समय जरूर स्थितियां अलग थीं। आगामी चुनाव की संभावनाओं पर नेशनल लुक के लिए बबलू तिवारी ने उनसे चर्चा की। पेश हैं उसके प्रमुख अंश-


0- आनेवाला विधानसभा चुनाव किन मुद्दों पर लड़ा जाएगा ?
00- हम लोग जिन मुद्दों पर चुनाव लड़ेंगे उसमें पहला होगा कि भाजपा ने अपने घोषणापत्र में जनता से जो वादा किया था उसका 90 प्रतिशत पालन नहीं किया। विकास के नाम पर भाजपा ने पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार को बढ़ाया है। आज उनका हर सरपंच और कार्यकर्ता भ्रष्टाचार की चपेट में है तथा विकास के नाम पर मिलने वाले पैसे का आधा खुद खा रहा है। हमारे पास हमारी केंद्र की यूपीए सरकार की उपलब्धियां हैं। किसानों का 60 हजार करोड़ रुपए की कर्जमाफी का मुद्दा लेकर जनता के पास जाएंगे। साथ ही हमने कहा है कि किसानों और गरीबों को दो रुपए में चावल देंगे, धान का मूल्य कुछ भी हो उस पर दो सौ रुपए बोनस देंगे, किसानों को सिंचाई के लिए बिजली का कनेक्शन मुफ्त में देंगे और प्रयास करेंगे कि छोटे और कृषि ऋण पर किसानों को ब्याज न देना पड़े। हमारा मुख्य उद्देश्य किसानों, ग्रामीणों, गांव के छोटे-छोटे बढ़ई, लोहार आदि को बढ़ावा देने का है।

0- आप कहते हैं कि भाजपा ने अपने घोषणापत्र का 90 प्रतिशत काम नहीं किया, लेकिन भाजपा के शासनकाल में विकास के कार्य तो होते दिख रहे हैं ..
00- भाजपा ने जो मूल घोषणाएं गरीबों-आदिवासियों के लिए की थीं जैसे गाय बांटने का वादा किया था, बेरोजगारी भत्ता बांटने की बात कही थी, किसानों के लिए जो कहा था उसे पूरा नहीं किया। भाजपा के प्रति ग्रामीणों और किसानों में रोष हम देख रहे हैं। वे इनके व्यवहार, रवैए और भ्रष्टाचार से आक्रोशित हैं। उस आक्रोश का कांग्रेस को निश्चित ही फायदा मिलेगा ऐसा मैं मानता हूं। मुझे विश्वास है कि इस सरकार के प्रति लोगों में जो निराशा है हमें उसका लाभ मिलेगा। हमे यह मालूम है कि भाजपा हमारी गल्तियों की वजह से जीती है। भाजपा को 1998 में 39 प्रतिशत वोट मिले थे और उसमें इन्हें 36 सीटें मिली थीं और अभी इन्होंने 39 प्रतिशत वोट में 50 सीटें जीतीं। इसके पीछे कांग्रेस के बिखराव की भूमिका थी। इसलिए हमारा पहला प्रयास कांग्रेस के बिखराव को समाप्त करना है जिसमें हम लगभग कामयाब हो रहे हैं और चुनाव के समय तक हम पूरी तरह से इस बिखराव को समाप्त करेंगे। कांग्रेस एकजुट होकर चुनाव लड़ेगी तो आनेवाली सरकार कांग्रेस की होगी।

0- राजनीति में महत्वाकांक्षाओं को किस तरह से देखते हैं? उनका टकराव ही तो कांग्रेस के बिखराव का कारण है...
00- महत्वाकांक्षाओं का टकराव तो राजनीति में होते ही रहता है। लेकिन आज की तारीख में सोनिया जी के निर्देश पर दिल्ली में जो बैठकें एआईसीसी में हुई हैं, उसमें सबने अपना मतभेद भुलाने का प्रयास किया है और हम लोग कांग्रेस के लिए सरकार बनाना चाहते हैं, सोनिया जी के लिए सरकार बनाना चाहते हैं। हमारे किसी के मन में मुख्यमंत्री बनने का लालच नहीं है। मैंने और विशेषकर कर्मा जी ने एआईसीसी की मीटिंग में हमारे वरिष्ठ नेताओं को साफतौर पर कह दिया है कि हमको आप काम करने दीजिए। सरकार हम बनाकर आपको दे रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने की हमारी कोई मंशा नहीं है। आप जिसको भी चाहें मुख्यमंत्री बनाएं हमारा इसमें कोई टकराव नहीं है।

0- दो रुपए किलो चावल की जो बात कांग्रेस कर रही है उसे कांग्रेस शासित रायों से क्यों नहीं शुरू किया जाता, यह सवाल विरोधी पूछ रहे हैं...
00- हमारा कांग्रेस शासित राय छत्तीसगढ़ से लगा हुआ आंध्र प्रदेश है। वहां हम दो रुपए किलो में चावल दे ही रहे हैं। ऐसा नहीं है कि भाजपा के तीन रुपए चावल की घोषणा के बाद हमने सोचा। मैं भाजपा से पूछना चाहूंगा कि उनकी किन-किन रायों में सरकार है और वे किन-किन रायों में तीन रुपए में चावल दे रहे हैं।

0- कांग्रेस गुजरात चुनाव परिणाम का किस तरह से विश्लेषण करती है? भाजपा उसे छत्तीसगढ़ में दोहराने का अगर प्रयास करती है तो ऐसी स्थिति में कांग्रेस क्या करेगी ?
00- गुजरात में भाजपा ने सांप्रदायिकता फैलाकर और लोगों को बांटकर चुनाव लड़ा था। छत्तीसगढ़ की जो जमीन है वह इन चीजों को सहन नहीं करती है। यहां वैसे हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई के बीच झगड़े नहीं हैं जैसे गुजरात में हैं। यहां लोगों में एका है, सामाजिक समरसता है इसलिए गुजरात का कोई प्रयोग यहां सफल नहीं हो पाएगा।

0- चुनावों में इतना ज्यादा खर्च क्या जरूरी है? इसका कोई विकल्प नहीं है क्या?
00- आजकल समाचारपत्रों, इलेक्ट्रानिक मीडिया का जमाना है और सब लोग चाहते हैं कि समाचारपत्रों और इलेक्ट्रानिक मीडिया के जरिए चुनाव का प्रचार हो। इन कारणों से कुछ चुनाव खर्च तो बढ़ जाते हैं। फिर भी कांग्रेस पार्टी कम से कम खर्च में चुनाव लड़ते आई है और धन-बल का यहां यादा उपयोग नहीं रहा है।

0- रमन सरकार के कामकाज बारे में क्या कहना चाहेंगे?
00- मैं ऐसा मानता हूं कि रमन सरकार में जितने भी मंत्री बने हैं उनमें एकाध को छोड़कर किसी को भी अनुभव नहीं है। इसलिए राजकाज क्या होता है उनको समझ में नहीं आता है। इतने हल्के ढंग से किसी बात को कह जाते हैं जैसा कि अजय चंद्राकर जी ने कहा कि सरकार बच्चे पैदा नहीं करती। ये कोई छोटी-मोटी बात नही है कि एक सरकार का जिम्मेदार शिक्षामंत्री जिसकी प्राथमिक जिम्मेदारी लोगों को शिक्षित करने की है वो इस तरह की अनर्गल और अलोकतांत्रिक बात करे, जिसे दिमाग का दिवालियापन कहा जा सकता है। इस प्रकार के कई मंत्री हैं जिन्हें इस बात का होश ही नहीं है कि मुख्यमंत्री का, मंत्री का और सरकार का क्या दायित्व है। उन्होंने लालबत्ती ले ली, जितना पैसा आ रहा और जितनी व्यवस्था हो रही है सब भ्रष्टाचार में लगा रहे हैं मगर कर कुछ नहीं रहे हैं।

0- राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़िया की क्या स्थिति है और यहां की संस्कृति के साथ क्या हो रहा है?
00- राय बनने के बाद छत्तीसगढ़ियों की जो स्थिति है वह पूरी तरह से दोयम दर्जे की है। मैं इस बात को विस्तार से नहीं कहना चाहूंगा लेकिन यह सौ प्रतिशत कह सकता हूं कि राय बनने के बाद ं कांग्रेस सरकार में छत्तीसगढ़िया लोगों को आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा था पर उसके बाद जबसे रमन सरकार आई है तब से छत्तीसगढ़ का कोई मंत्री न तो पनप सका और न बढ़ सका है। यहां के मंत्रियों को दोयम दर्जे में रखा गया। छत्तीसगढ़ियों को दोयम दर्जे पर रखा गया। भाजपा सरकार में जो लोग बाहर से आकर छत्तीसगढ़ में काम और व्यापार कर रहे हैं उन्हीं के यहां पौ-बारह हुए हैं। मैं यह कह सकता हूं और इस बात को आगे भी कहूंगा। छत्तीसगढ़ में एक कहावत है कि पेट में भात और छाती में लात। छत्तीसगढ़ियों के सम्मान के साथ भाजपा ने खिलवाड़ किया, हमारे सम्मान को तवाो नहीं दी। छत्तीसगढ़ की जो परंपरा-संस्कृति रही है आपस में मिलना, भेंट करना। यहां संत कबीर, बाबा घासीदास की जो सामाजिक शिक्षा है और प्रेम का संदेश था जिसके कारण हम लोगों में आपस में एकता और प्रेम था उसे इन्होंने खत्म करने और तहस नहस करने का प्रयास किया है।

0- डा. रमन सिंह की छवि आगामी विधानसभा चुनाव में क्या प्रभाव डालेगी?
00- डा. रमन सिंह की छवि चुनाव में कोई प्रभाव नहीं डालेगी।आखिर सभी मंत्रियों के नेता वही हैं। जो भी भ्रष्टाचार हुआ है वे उसके बराबर के भागीदार हैं। भाजपा सरकार ने यहां के किसानों, गरीबों, ग्रामीणों और छत्तीसगढ़ियों के साथ जो भी अन्याय किया है उसके प्रथमत: जिम्मेदार डा. रमन हैं। मैं नहीं मानता कि उनकी सरलता वाली जो छवि है वह किसी काम आनेवाली है।

"सलवा जुड़ूम के कारण पार्टी में अलग-थलग पड़ जाता हूं"



( रायपुर, 12 अप्रैल 2008, दोपहर 11 बजे )

'बस्तर का शेर' कहे जाने वाले महेंद्र कर्मा नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे आंदोलन सलवा जुड़ूम के प्रबल समर्थक हैं। विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष के पद पर होते हुए भी उन्होंने नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में सरकार को सहयोग दिया जिसके कारण  विरोधी उन्हें रमन सरकार के मंत्रियों में गिनते हैं। उनका मानना है कि आगामी चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनेगी जिसका लक्ष्य भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देना होगा। जनता को ऐसी सरकार चाहिए जिसमें अंतिम व्यक्ति तक की बात सुनी जाती हो, जो कांग्रेस में ही संभव है। उनके मुताबिक रमन सरकार के पास नक्सल मुद्दे पर कोई स्पष्ट रणनीति नहीं है। राष्ट्रीय और प्रदेश के हित का मामला होने की वजह से वे इससे जुड़े हैं। अपने खुद के बारे में श्री कर्मा कहते हैं कि सत्ताधीश नेता राजधानी के वातानुकुलित कमरे में बैठकर नक्सलियों से लड़ने की बात करते हैं, जबकि मैं दंतेवाड़ा के नक्सल इलाकों में जाकर लोगों से नक्सलियों को उखाड़ फेंकने की बात करता हूं, हममें और इस सरकार में यही फर्क है। श्री कर्मा का मानना है कि प्रदेश कांग्रेस के भीतर गुटबाजी लगभग समाप्त हो चुकी है और जनता पर डॉ. रमन सिंह की अच्छी छबि का कोई असर नहीं होगा। जनता जानती है कि यहां पुरस्कार खरीदे गए हैं। 'नेशनल लुक' के लिए नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा से बबलू तिवारी ने लंबी चर्चा की। प्रस्तुत है चर्चा के मुख्य अंश- 

0. आगामी विधानसभा चुनाव किन मुद्दों पर लड़ा जाएगा?
00. हमारी कांग्रेस पार्टी केंद्र की कांग्रेस सरकार द्वारा किसानों की कर्जमाफी, दो रुपए किलो में चावल देने की हमारी घोषणा को लेकर जनता के बीच जाएगी। प्रदेश स्तर पर हम किसानों और गांवों के छोटे उद्यमियों को ब्याज मुक्त ऋण देने पर विचार कर रहे हैं। भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन, लोगों को सामाजिक समानता देना हमारा मुख्य लक्ष्य होगा। बाकी भाजपा सरकार का कामकाज तो जनता के सामने है ही, इसलिए हमें अपनी बात समझाने में कोई मुश्किल नहीं जाएगी। जनता ने भाजपा का शासन देख लिया है और अब उसे समझ में आ चुका है कि कौन उनके हित की बात और काम करता है।

0. भाजपा को डा. रमन सिंह की छवि का क्या फायदा चुनाव में मिल सकता है ? भाजपा सरकार के कामकाज के बारे में क्या कहेंगे?
00. मुख्यमंत्री की छवि का भाजपा को कोई फायदा नहीं मिलने वाला। जनता को पिछले साढ़े चार साल के भाजपा शासन में समझ आ चुका है कि किसी की छवि से उसका कोई भला नहीं होना, उसे प्रशासनिक तंत्र पर मजबूत पकड़ वाली सरकार चाहिए, उसे गरीबों और ग्रामीणों के हित के लिए काम करने वाली सरकार चाहिए, उसे प्रदेश को विकास के रास्ते पर ले जाने वाली सरकार चाहिए, उसे ऐसी सरकार चाहिए जिसमें अंतिम व्यक्ति तक की बात सुनती हो, उसे भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चाहिए, उसे सिर्फ पेट भरने के लिए सरकार नहीं चाहिए, उसे सामाजिक समानता चाहिए, छोटे तबकों को मुख्य धारा में लाने के लिए काम करने वाली सरकार चाहिए। इस सरकार का प्रशासनिक तंत्र पर कोई पकड़ नही है, ये सिर्फ भाजपाइयों के फायदे के लिए प्रशासन पर दबाव डालते हैं। हमने देखा है कि एक सरपंच के मामले में भाजपाइयों को खुश करने के लिए कैसे सरकार ने प्रशासनिक तंत्र पर दबाव डाला था। जिसमें भाजपा सरकार नाकामरही है। मुझे नहीं लगता कि किसी की व्यक्तिगत छवि का लाभ भाजपा को मिलेगा।

0. आप कह रहे हैं कि जनता कि उम्मीदों पर यह सरकार खरी नहीं उतरी है, जबकि मुख्यमंत्री को लगातार कोई न कोई पुरस्कार मिल रहा है ?
00. यही तो विडंबना है इस सरकार की। एक बार मुख्यमंत्री को सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री का पुरस्कार क्या मिला, वे पूरे कार्यकाल तक उसे बचाने में ही लगे रहे। इसके लिए न जाने कौन-कौन से तरीके आजमाए गए। कहीं से पुरस्कार खरीदा गया तो कहीं किसी संगठन को फायदा पहुंचाकर पुरस्कार प्राप्त किया गया। आखिर किसी मुख्यमंत्री को ऐसे पुरस्कार की जरूरत ही क्या है जो कि खरीदकर प्राप्त किया गया हो? उसका पुरस्कार तो जनता के लिए किए गए अच्छे कार्य और उसे लाभ पहुंचाकर मिलने वाला सम्मान होना चाहिए ।

0. नक्सलवाद के मुद्दे पर रमन सरकार को कहां खड़ा पाते हैं और अपने आप को भी ?
00. रमन सरकार के पास नक्सल मुद्दे पर कोई रणनीति नहीं है। राष्ट्रीय और प्रदेश के हित का मामला होने की वजह से मैं भी इससे जुड़ा हूं। अभी जो कामयाबी मिल रही है उसके पीछे जवानों और अफसरों का हौसला है, जिसे की यह सरकार लगातार कम कर रही है। इन्होंने जंगलों में सर्चिंग का काम बंद करा दिया है। इन्हें डर लगता है कि कहीं कोई बड़ी वारदात हो जाएगी तो इनके वोट बैंक पर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने चुनाव तक वोट की खातिर नक्सल अभियानों को बंद कर दिया है। ये राजधानी के वातानुकूलित कमरे में बैठकर नक्सलियों से लड़ने की बात करते हैं, जबकि महेंद्र कर्मा दंतेवाड़ा के नक्सल इलाके में जाकर लोगों से नक्सलियों को उखाड़ फेंकने की बात करता है, हममें और इस सरकार में यही फर्क है। सलवा जुड़ूम अभियान जिसे यह सरकार अपनी उपलब्धि बताकर श्रेय लेने की कोशिश करती है, उसे वहां की जनता ने शुरू किया। इसके पीछे सरकार का कोई रोल नहीं है। ये सिर्फ उसे पीछे से मदद कर रहे हैं। लेकिन हम सलवा जुड़ूम के साथ उनके इलाके में खड़े रहते हैं। मैं इस मुद्दे की वजह से अपनी पार्टी में कई जगह अलग-थलग पड़ जाता हूं, लेकिन मैं दंतेवाड़ा से आता हूं, जो कि घोर नक्सल प्रभावित है, इसलिए मैं जानता हूं कि नक्सलियों की वजह से वहां का आदिवासी और जनता पूरे देश की अपेक्षा कितनी पीछे चली जा रही है। लोगों की जिंदगी दूभर हो गई है। वहां की जनता इससे छुटकारा चाहती है, मैं दूसरों की अपेक्षा इस दर्द को ज्यादा अच्छे से महसूस करता हूं, यहीं कारण है कि मैं सलवा जूड़ूम के साथ अपनी अंतिम सांस तक खड़ा रहूंगा। चाहे इसके लिए मुझे कोई भी कुर्बानी क्यों न देनी पड़ी।

0. क्या राहत शिविरों में रहने वाले लोगों का इस्तेमाल वोट बैंक के रूप में
किया जा सकता है ?

00. इस सरकार की जो रीति और नीति है उससे मुझे पूरी आशंका है कि
भाजपा प्रशासनिक और पुलिस द्वारा दबाव डालकर राहत शिविरों में रहने वाले लोगों को मतदान के समय प्रभावित कर सकती है। हालांकि कांग्रेस इसे रोकने का पूरा प्रयास करेगी। ये अलग बात है कि राहत शिविरों में रह रहे लोग भी इस सरकार की नीयत को पहचान चुके हैं।

0. जाति की राजनीति का छत्तीसगढ़ में क्या भविष्य है?
00. छत्तीसगढ़ इससे ऊपर उठ गया है। यहां जनता और राजनीतिज्ञों में इसके प्रति बड़ा स्पष्ट नजरिया है। मुझे नहीं लगता कि यहां ऐसी राजनीति सफल हो सकती है।

0. कांग्रेसी नेताओं की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा और गुटबाजी का भाजपा को क्या लाभ मिल सकता है? कुछ कांगेस नेता अपने को अगला मुख्यमंत्री बताने की कोशिश करने लगे हैं?
00. देखिए बड़ी और राष्ट्रीय पार्टियों में मुख्यमंत्री का फैसला हाईकमान करता है, किसी के यहां अपने आप को मुख्यमंत्री कहने से कुछ नहीं होता। जहां तक मेरी बात है, मैंने सोनिया जी को स्पष्ट कह दिया है कि आप हमें काम करने दीजिए, हम कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ में बनाकर देंगे फिर आप जिसे योग्य मानिएगा उसे मुख्यमंत्री बनाइएगा। हमारा इसमें कोई टकराव नहीं होगा। लेकिन पिछली बार की गल्तियों का दोहराव इस बार मत होने दीजिए। पार्टी किसी नेता की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से ऊपर होती है। इस बार कांग्रेस पिछली बार की अपेक्षा और मजबूत हुई है। गुटबाजी लगभग समाप्त हो चुकी है। हम सब मिलकर इस बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं।

0. क्या भाजपा गुजरात चुनाव की सीख यहां दोहरा सकती है?
00. दोहरा सकती नहीं, दोहराना शुरू कर दिया है, वेदांती का मामला इसी से जुड़ा हुआ है। चूंकि भाजपा धर्म की राजनीति ही करती रही है, इसलिए वह इससे पीछे नहीं हटने वाली। छत्तीसगढ़ की जनता बहुत समझदार है। यहां के लोगों में आपसी भाईचारा है, मिलनसार हैं। यहां कि संस्कृति भी इसकी इजाजत नहीं देती है। इसलिए भाजपा का यह तुरुप यहां नहीं चलने वाला है। हालांकि वह इसका प्रयोग करने की पूरी कोशिश कर रही है।

0. राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ी संस्कृति में क्या बदलाव हुए हैं, यह मजबूत हुई है या कमजोर?
00. राज्य बनने के बाद तो नहीं लेकिन जब से भाजपा सत्ता में आई है तब से इसे नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। यह मड़ई-मेलों का प्रदेश है। यहां कि एक लोक संस्कृति है। बस्तर के रहन सहन और संस्कृति को जानने और सीखने के लिए पूरा विश्व लगा हुआ है। विदेशी विश्वविद्यालयों के छात्र इस कल्चर का अध्ययन करने के लिए यहां आते हैं। लेकिन भाजपा सरकार इसे तहस नहस करने में लगी है। धर्म की राजनीति करने वाली भाजपा सरकार वेद-पुराणों से परे काम कर रही है। जिस धर्म संस्कृति में कुंभ 12 साल और अर्धकुंभ 6 साल में होते हैं और जिसे सदियों से यह देश मानता रहा है उसे ये लोग हर साल मना रहे हैं। जो लोग भारतीय संस्कृति से खेल सकते हैं, वे छत्तीसगढ़ी संस्कृति से तो खेलेंगे ही। इनका हर एक धार्मिक आयोजन वोट बैंक के लिए होता है। धर्म- संस्कृति से इनका कोई लेना-देना नही है।

0. कल दिग्विजय सिंह ने बयान दिया है कि उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. महंत से कहा है कि वे महेंद्र कर्मा को सलवा जूड़ूम से अलग होने के लिए मनाएं?
00. मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है, मैं इस बारे में अभी कुछ नहीं कह सकता।

0. प्रदेश में इतने एमओयू हुए, इससे आपको नहीं लगता कि प्रदेश में विकास का काम हो रहा है?
00
. अरे भाई एमओयू करना अलग बात है, विकास होना अलग बात। आप कहते हैं कि हमने करोड़ों का एमओयू किया। एमओयू एक कमरे के भीतर होता है। आप किसके साथ, कहां एमओयू करते हैं इसे आप छुपा सकते हैं और जनता को कुछ भी बता सकते हैं, लेकिन एमओयू का क्रियांवयन नहीं छुपा सकते वह तो फील्ड में होना है। आप कहते तो हैं कि करोड़ों का एमओयू हुआ पर उसका क्रियांवयन कहां हुआ। मैं बस्तर के बारे में बता सकता हूं कि अभी तक वहां एस्सार और टाटा ने कोई भी काम शुरू नहीं किया है। जब तक क्रियांवयन नहीं होगा तब तक विकास कैसे हो सकता है। एमओयू भर कर लेने से विकास हो गया। कोई अगर ऐसा सोचता है तो हमें कोई दिक्कत नहीं है। जनता सब देख रही है, सब जान रही है।

0. आपको क्या लगता है भाजपा के तीन रुपए किलो चावल का उसे कोई प्रतिफल मिलेगा? सरकार की माने तो जनता बहुत खुश है?
00. देखिए यह बात सत्ता में बैठे लोगों को कभी भी समझ में नहीं आती है। उसे जनता खुश ही दीखती है। इससे पहले प्रदेश में हमारी सरकार थी। किसी क्या मालूम था कि सरगुजा से लेकर बस्तर तक जनता अपना फैसला ले चुकी है? इससे पहले केंद्र में एनडीए की सरकार थी उसे भी इंडिया शाइन, भारत उदय दिखने लगा था, लेकिन क्या किसी को मालूम था कि देश की जनता कश्मीर से कन्याकुमारी तक अपना फैसला ले चुकी है ? जनता मतदान के समय अपना फैसला सुनाती है। वह सरकार के कार्यकाल के दौरान सारी गतिविधियों को देखते रहती है और अपना फैसला सुरक्षित रखते जाती है। जनता ने भाजपा की कथनी और करनी में फर्क देखा है। उसने देखा है कि किस संकल्प और वादों के साथ भाजपा सत्ता में आई और कैसे उसे अलग रख दिया गया। कर्जमाफी, बेरोजगारों को भत्ता देने का वादा अभी जनता भूली नहीं है। मैं आजतक किसी कर्जमाफी वाले किसान-ग्रामीण से नहीं मिल पाया। अपने हर सम्मेलन में ऐसे लोगों को ढूढंता हूं जिसे कर्जमाफी मिली हो। अगर भाजपा को ऐसा लगता है तो यह हमारे लिए अच्छा ही है।

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